मन के बाग़ में बिखरी है भावनाओं की ओस। …………कुछ बूंदें छूकर मैंने भी नम कर ली हैं हथेलियाँ …………और लोग मुझे कवि समझने लगे!

अनछुआ अहसास

मेरे गीतों में मेरे प्रेम का विश्वास बिखरा है
कहीं पतझर उतरता है कहीं मधुमास बिखरा है
मेरी बातें दिलों को इसलिये छूकर गुज़रतीं हैं
कि इन बातों में कोई अनछुआ अहसास बिखरा है

1 comment:

Anonymous said...

bahut gahre tak chhuta hai ye ahsaas

Text selection Lock by Hindi Blog Tips
विजेट आपके ब्लॉग पर