किस क़दर हावी हुई हैं व्यस्तताएँ देखिये
कसमसा कर रह गईं संवेदनाएँ देखिये
स्वार्थ, बाज़ारीकरण और वासना की धुंध में
खो चुकी हैं प्रेम की संभावनाएँ देखिये
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Via chitthajagat.in
1 comment:
बहुत सुंदर लिखा....
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