मन के बाग़ में बिखरी है भावनाओं की ओस। …………कुछ बूंदें छूकर मैंने भी नम कर ली हैं हथेलियाँ …………और लोग मुझे कवि समझने लगे!

इक लड़की

प्यार की बयार में ये दिल झूम नाचता है
जब दिल में उतरती है इक लड़की
नित नए रंग नित नयी मुस्कान लिए
मन में उमंग भरती है इक लड़की
जीवन की सूनी बगिया महकती है जब
पारिजात बन झरती है इक लड़की
दिल ट्रिन-ट्रिन बजता है रोज़-रोज़ जब
सांझ ढले फ़ोन करती है इक लड़की

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