मन के बाग़ में बिखरी है भावनाओं की ओस। …………कुछ बूंदें छूकर मैंने भी नम कर ली हैं हथेलियाँ …………और लोग मुझे कवि समझने लगे!

मंच की बाज़ीगरी

मसखरों की मसखरी अपनी जगह
शायरों की शायरी अपनी जगह
गीत लिखने का हुनर कुछ और है
मंच की बाज़ीगरी अपनी जगह

No comments:

Text selection Lock by Hindi Blog Tips
विजेट आपके ब्लॉग पर