हमारा दिल था बड़ा बेक़रार बरसों तक
किसी ख़ुशी का रहा इंतज़ार बरसों तक
जो एक पल तमाम दर्द को भुला देगा
उसी की आस पे थे खुशग़वार बरसों तक
वो मुझसे रू-ब-रू हैं जिनकी इंतज़ारी थी
ये पल करेगा मुझे अश्क़बार बरसों तक
तमाम मयक़दों का सारा नशा बेमानी
वो देख लें तो न उतरे ख़ुमार बरसों तक
तुम्हारे वस्ल का पल फिर से लौट कर आए
यही दुआ करेंगे बार-बार बरसों तक
ये क्या तिलिस्म किया तुमने इक दफ़ा छूकर
ख़याल-ऐ-वस्ल रहा बरक़रार बरसों तक
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment