मैं खुली आँखों से
एक सपना देखता था अक्सर
बनाता था इक तस्वीर
अपनी ख्वाहिशों की
न जाने कब उभर आया
एक मुक़म्मल इंसान
मेरे मन के कॅनवास पर
न जाने क्यों
मैंने रख दिया
अपना दिल
बिना सोचे-समझे
इस इंसान के सीने में
...तुम
महज एक रिश्ता नहीं हो मेरे लिए
तुम मेरे सपनों का
कॅनवास हो
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
1 comment:
bahut sundar canvas hai chirag ji
Post a Comment