मन के बाग़ में बिखरी है भावनाओं की ओस। …………कुछ बूंदें छूकर मैंने भी नम कर ली हैं हथेलियाँ …………और लोग मुझे कवि समझने लगे!

नव वर्ष

इक और नया अवसर आया
ख़ुशियों के पुष्प खिलाने का
अंतस् की सब कटुता तजकर
अपनों को गले लगाने का
मन में जागे उल्लास नया
जीवन में हो मधुमास नया
उलझे-सुलझे संबंधों में
फिर से पनपे विश्वास नया
मुस्कानों की कलियाँ चटकें
हर दिल में निस्पृह प्रीत उठे
पावनता नयनों में उतरे
मन में मधुरिम संगीत उठे
हर जीवन के वातायन में
चंदन बन महके नया साल
आशाओं के नन्दन वन में
चिड़िया सा चहके नया साल

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