मन के बाग़ में बिखरी है भावनाओं की ओस। …………कुछ बूंदें छूकर मैंने भी नम कर ली हैं हथेलियाँ …………और लोग मुझे कवि समझने लगे!

अखरता है

भले ही कभी दुलारा न हो
मुझे आपके नेह ने
बाँहों में भरकर!
…लेकिन फिर भी
न जाने क्यों
काटने को दौड़ता है मुझे
आपका मौन!!!

No comments:

Text selection Lock by Hindi Blog Tips
विजेट आपके ब्लॉग पर