यूँ ही पूछ बैठी थी तुम
'मेरे बिना रह पाओगे?'
-सुनकर
मेरे मस्तिष्क में
एकाएक कौंध गया एक प्रश्न-
'क्या तुम सही उत्तर सह पाओगी?'
...ख़ुद से उलझते-जूझते
न जाने कब
मेरे मुँह से निकल गया-
'नहीं!'
...और तुमने
इसे अपने प्रश्न का
उत्तर समझ लिया!
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2 comments:
यार कहीं आप मानव मस्तिष्क पर PhD तो नहीं कर रहे....
bahut minute observation hai apka
bahut achchhi rachna hai
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