बारुदों के ढेर पर दुनिया खड़ी है देखो
ज़ख्मों का एक ही इलाज है अहिंसा
धाँय-धाँय, धड़-धड़, धूम-धूम की ध्वनि में
वीणा के सुरों-सा एक साज है अहिंसा
तोप-टैंक-बम-परमाणुओं की कुंडली में
साढ़ेसाती जैसी एक गाज है अहिंसा
ऐरों-गैरों-नत्थूखैरों कायरों का काम नहीं
वीर-महावीरों की आवाज़ है अहिंसा
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1 comment:
Bhadaii ho mahatma ji vapas agaye ..
Hum sabko vindan le ke border pe bheth jana chahiye yahi kehna chahte hai na aap ..
good goin keep it up.
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