मन के बाग़ में बिखरी है भावनाओं की ओस। …………कुछ बूंदें छूकर मैंने भी नम कर ली हैं हथेलियाँ …………और लोग मुझे कवि समझने लगे!

रिक्शावाला : एक संत्रास

डरी-सहमी पत्नी
और तीन बच्चों के साथ
किराए के मकान में
रहता है रिक्शावाला।

बच्चे
रोज़ शाम खेलते हैं एक खेल
जिसमें सीटी नहीं बजाती है रेल
नहीं होती उसमें
पकड़म-पकड़ाई की भागदौड़
न किसी से आगे निकलने की होड़
न ऊँच-नीच का भेद-भाव
और न ही छुपम्-छुपाई का राज़

....उसमें होती है
''फतेहपुरी- एक सवारी''
-की आवाज़।

छोटा-सा बच्चा
पुरानी पैंट के पौंचे ऊपर चढ़ा
रिक्शा का हैंडिल पकड़
ज़ोर-ज़ोर से आवाज़ लगाता है,
और छोटी बहन को सवारी बना
पिछली सीट पर बैठाता है

...थोड़ी देर तक
उल्टे-सीधे पैडल मारने के बाद
अपने छोटे-काले हाथ
सवारी के आगे फैला देता है
नकली रिक्शावाला

पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार
उतर जाती है सवारी
अपनी भूमिका के साथ में
और मुट्ठी में बँधा
पाँच रुपये का नकली नोट
(....जो निकलता है
एक रुपए के सौंफ के पैकिट में)
थमा देती है
नकली रिक्शावाले के हाथ में।

तभी खेल में
प्रवेश करता है तीसरा बच्चा;
पकड़ रखी है जिसने
एक गन्दी-सूखी लकड़ी
ठीक उसी तरह
...ज्यों एक पुलिसवाला
डंडा पकड़ता है अपने निर्मम हाथ में।

मारता है रिक्शा के टायर पर
फिर धमकाता है उसे
पुलिसवाले की तरह;
और छीन लेता है
नकली बोहनी के
नकली पैसे
नकली रिक्शावाले से
नकली पुलिसवाला बनकर
असली पुलिसवाले की तरह।

4 comments:

shruti gupta said...

jo main likhne ja rahi hun use comment kahna uchit nai hoga yeh to sahi mayne main lekhak ke liye compliment hai. usne ek rikshwale ke jeevan ko jis prakar darshaya hai woh kabil-e-tareef hai.ek nakli policewala ek asli policewale ki tarah behave karta hai kyunki hamare samaj main aj bhi ek policewale ki chavi kroor ki hi hai jo sahi bhi hai.corruption ki shuruvat yahi se hoti hai aur ant netaon se. lekhak ne ek machority bhari jugalbandi se samaj ko aaina dikhaya hai jo is umar main kisi bhi insaan ke liye khud hi ek misaal hai.

वर्तिका said...

waah! nakli ke zariye aapne asli rag par haath rakh diyaa.... sach ko swayam mein samete hue ek s-shakt rachnaa...

aise kayi incidents dekh bhi chuki hoon pichle kuch saalon mein apne kaam ke dauraan...... so iss rachnaa kaa asar aur adhik hua hua humpar...

rajesh utsahi said...

सुंदर कविता है। सरल शब्‍दों में । बधाई।

raviprakashtank said...

bachhon ke ek samanya se khel ko apne shabdo ka jo roop diya hai ati sunder laga....bahut achha laga---

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