मन के बाग़ में बिखरी है भावनाओं की ओस। …………कुछ बूंदें छूकर मैंने भी नम कर ली हैं हथेलियाँ …………और लोग मुझे कवि समझने लगे!

ये अलग बात है

चाहता हूँ उन्हें ये अलग बात है
वो मिलें ना मिलें ये अलग बात है
एक एहसास से दिल महकने लगा
गुल खिलें ना खिलें ये अलग बात है

एक दूजे से हम यूँ ही मिलते रहें
ज़िन्दगी भर का नाता बने ना बने
हम समर्पण के सदभाव से पूर्ण हों
हम में कोई प्रदाता बने ना बने
दिल की बातें दिलों तक पहुंचती रहें
लब हिलें ना हिलें ये अलग बात है
चाहता हूँ उन्हें ये अलग बात है.........

उनकी बातों में समिधा की पावन महक
मुस्कुराहट में है यक्ष का अवतरण
आंख में झिलमिलाती है दीपक की लौ
अश्रु हैं जैसे पंचामृती आचमन
मेरी श्रध्दा नमन उनको करती रहे
वर मिलें ना मिलें ये अलग बात है
चाहता हूँ उन्हें ये अलग बात है.....

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