चिलमनों ने कर दिया है आंसुओं को बेनक़ाब
आँख दिल के हाल पर छुप-छुप के रोये किस तरह
इक तरफ़ हालत हैं, इक ओर दिल की बेबसी
आदमी फिर चैन से सोये, तो सोये किस तरह
ज़िन्दगी के तार में हालत की गिरहें पडीं
कोई रिश्तों के यहाँ मोटी पिरोये किस तरह
बेर, कीकर, नागफनियाँ ही पनपती हों जहाँ
बागबाँ उस रेत में गुलशन संजोये किस तरह
अश्क़-ओ-जज़्बों का जहाँ होता हो सौदा-ओ-मखौल
कोई नाज़ुक दिल वहां पलकें भिगोये किस तरह
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