तुमसे मिलना
जैसे हाईवे पर दौड़ती गाड़ी
दो पल को ठहरे
किसी पैट्रोल पम्प पर
...जैसे परवाज़ की ओर बढ़ता परिंदा
यकायक उतर आये
धरती पर
पानी की चाह में
...जैसे बहुत लंबी
मरुथली यात्रा के दौरान
हरे पेड़ की छाँव!
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
- प्रकाशित कविताएँ: 104
- प्रकाशित प्रतिक्रियाएँ: 116
No comments:
Post a Comment