उनको लगता है ये चांदी औ' ये सोना अच्छा
मैं समझता हूँ कि अहसास का होना अच्छा
मैंने ये देख के मेले में लुटा दी दौलत
मुर्दा दौलत से तो बच्चों का खिलोना अच्छा
जिसके आगोश में घुट-घुट के मर गए रिश्ते
ऐसी चुप्पी है बुरी; टूट के रोना अच्छा
जिसके खो जाने से रिश्ते की उमर बढ़ जाए
जितनी जल्दी हो उस अभिमान का खोना अच्छा
अश्क़ तेज़ाब हुआ करता है दिल में घुटकर
दिल गलाने से तो पलकों का भिगोना अच्छा
मिरे होते हुए भी कोई मिरा घर लूटे
फिर तो मुझसे मिरे खेतों का डरोना अच्छा
जबकि हर पेड़ फ़क़त बीच में उगना चाहे
ऐसे माहौल में इस बाग़ का कोना अच्छा
राम ख़ुद से भी पराए हुए राजा बनकर
ऐसे महलों से वो जंगल का बिछोना अच्छा
उसके लगने से मेरा मन भी सँवर जाता था
अब के श्रृंगार से अम्मा का दिठौना अच्छा
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7 comments:
very nice. keep it up. execllent imagination and writing skills.
waah bhai !!
waakayi bahut kuchh kah diya aapne
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
अच्छी लिख रहे हैं आप .. जारी रखें .. बहुत सुंदर ।
सुन्दर प्रवाह एवं प्रस्तुति।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
चिराग जी
इस बात को अन्यथा आप नहीं लेंगे, इस विश्वास के साथ कह रही हूँ-
"दिल जीत लिया आपने"
अश्क तेजाब हुआ करता है दिल में घुटकर
दिल गलाने से तो पलकों का भिगोना अच्छा
बहुत खूब चिराग जी, अब गजल और कविता के मामले में आपसे इस किस्म की उम्दा गजल की अपेक्षा तो है ही सुबह सुबह मन प्रसन्न हो गया इसी तरह गजले गीत कविता सब लिखते रहे और सूचित करते रहे फ़ोन तो आप अक्सर उठाते नहीं काफी व्यस्त रहते हैं मैं समझ सकता हूँ .......................
अरुण अद्भुत
Achha Prayas hai
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