मन के बाग़ में बिखरी है भावनाओं की ओस। …………कुछ बूंदें छूकर मैंने भी नम कर ली हैं हथेलियाँ …………और लोग मुझे कवि समझने लगे!

ब्लॉग से वेबसाइट तक

प्रिय पाठकों!
"काव्यांचल", जो कि अब तक आपको सिर्फ़ मेरी रचनाओं से वाक़िफ़ कराता था, अब अपना दायरा बड़ा कर रहा है और ब्लॉग की बगिया से निकल कर वेबसाइट के बाग़ तक पहुँच गया है। इस बाग़ में आपको अनेक जाने-अनजाने रचनाकारों की रचनाएँ पढ़ने को मिलेंगीं।
यहाँ से आप अपने पसंदीदा कवियों को सुन भी सकते हैं, देख भी सकते हैं और उनकी कविताओं पर आधारित वालपेपर्स से अपना डेस्कटोप भी सजा सकते हैं।
आशा है कि आपका समर्थन और सहयोग हमें मिलता रहेगा।

-आपका अपना
चिराग़ जैन

http://www.kavyanchal.com/

3 comments:

Shekhar Kumawat said...

BAHUT BAHUT BADHAI AAP KO


AGAR WAQT MILE TO HAM SE SAMPARK KAR HAMARI BHI KAVITAYE APNI NAI WEB SITE PAR LAGAYE

THENX

SHEKHAT KUMAWAT

Udan Tashtari said...

बधाई हो जनाब!

हें प्रभु यह तेरापंथ said...

बधाई हो

जैन ब्लोगर परिवार"
जैन ब्लोगर परिवार"
"साइन-अप"

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