भीतर तक दहल गया हूँ मैं
क्योंकि जानता हूँ
कि छोटी-मोटी वजह से
नहीं बदल सकता
तुम्हारा बर्ताव!
लेकिन नहीं जानता
कि आख़िर
क्या है
वो बहुत बड़ी वजह
जो अचानक
ख़ामोश हो गए हो तुम!
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
- प्रकाशित कविताएँ: 104
- प्रकाशित प्रतिक्रियाएँ: 116
No comments:
Post a Comment